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MOTIVATIONAL STORY

 आज मै MOTIVATIONAL STORY  के इस पोस्ट में सभी केेे बारे में ऐसेे बात बताने जा रहा हूं जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

MOTIVATIONAL STORY

#मिट्टी_का_खिलौना

एक गांव में एक कुम्हार रहता था, वो मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाया करता था, और उसे शहर जाकर बेचा करता था। जैसे तैसे उसका गुजारा चल रहा था, एक दिन उसकी बीवी बोली कि अब यह मिट्टी के खिलोने और बर्तन बनाना बंद करो और शहर जाकर कोई नौकरी ही कर लो, क्यूँकी इसे बनाने से हमारा गुजारा नही होता, काम करोगे तो महीने के अंत में कुछ धन तो आएगा। कुम्हार को भी अब ऐसा ही लगने लगा था, पर उसको मिट्टी के खिलोने बनाने का बहुत शौक था, लेकिन हालात से मजबूर था, और वो शहर जाकर नौकरी करने लगा, नौकरी करता जरूर था पर उसका मन अब भी, अपने चाक और मिट्टी के खिलोनों मे ही रहता था।


समय बितता गया, एक दिन शहर मे जहाँ वो काम करता था,उस मालिक के घर पर उसके बच्चे का जन्मदिन था। सब महंगे महंगे तोहफे लेकर आये, कुम्हार ने सोचा क्यूँ न मै मिट्टी का खिलौना बनाऊ और बच्चे के लिए ले जाऊ, वैसे भी हम गरीबों का तोहफा कौन देखता है। यह सोचकर वो मिट्टी का खिलौना ले गया. जब दावत खत्म हुई तो उस मालिक के बेटे को और जो भी बच्चे वहा आए थे सबको वो खिलोना पंसद आया और सब जिद करने लगे कि उनको वैसा ही खिलौना चाहिए। सब एक दूसरे से पूछने लगे की यह शानदार तोहफा लाया कौन, तब किसी ने कहा की यह तौहफा आपका नौकर लेकर आया.


सब हैरान पर बच्चों के जिद के लिए, मालिक ने उस कुम्हार को बुलाया और पूछा कि तुम ये खिलौना कहाँ से लेकर आये हो, इतना मंहगा तोहफा तूम कैसे लाए? कुम्हार यह बाते सुनकर हंसने लगा और बोला माफ कीजिए मालिक, यह कोई मंहगा तोहफा नही है, यह मैने खुद बनाया है, गांव मे यही बनाकर मै गुजारा करता था, लेकिन उससे घर नही चलता था इसलिए आपके यहाँ नौकरी करने आया हूं। मालिक सुनकर हैरान हो गया और बोला की तुम क्या अभी यह खिलोने और बना सकते हो, बाकी बच्चों के लिए? कुम्हार खुश होकर बोला हाँ मालिक, और उसने सभी के लिए शानदार रंग बिरंगे खिलौने बनाकर दिए।


यह देख मालिक ने सोचा क्यूँ ना मै, इन खिलौने का ही व्यापार करू और शहर मे बेचू। यह सोचकर उसने कुम्हार को खिलौने बनाने के काम पर ही लगा दिया और बदले मे हर महीने अचछी तनख्वाह और रहने का घर भी दिया। यह सब पाकर कुम्हार और उसका परिवार भी बहुत खुश हो गया और कुम्हार को उसके पंसद का काम भी मिल गया.


इस कहानी का मूल अर्थ यह है की हुनर हो तो इंसान कभी भी किसी भी परिस्थिति मे उस हुनर से अपना जीवन सुख से जी सकता है और जग मे नाम करता है।


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