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2023 में चीन में हिंदू जनसंख्या कितनी है, जानिए चीन की कुल आबादी कितनी है?

    2023 में चीन में हिंदू जनसंख्या कितनी है, जानिए चीन की कुल आबादी कितनी है?

    2022 में चीन में हिंदू जनसंख्या कितनी है, जानिए चीन की कुल आबादी कितनी है?

    इस पोस्ट में आप जानेंगे कि 2023 में चीन में हिंदू जनसंख्या कितनी है दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि वर्तमान में चीन दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। चीन में अगर धर्म की बात किया जाए तो यहां अधिकतर लोग नास्तिक होते हैं जिस तरह हमारे देश भारत में हिंदू धर्म की जनसंख्या सबसे अधिक है उसी तरह चीन में बौद्ध धर्म मानने वाले लोगों की जनसंख्या सबसे अधिक है यहां पर मुस्लिम धर्म के लोगों की अच्छी खासी जनसंख्या है।


    अमेरिका के बाद चाइना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सुपरपावर है चाइना ने बीते दशकों में इतनी तरक्की की है जितनी करने में अमेरिका को सैकड़ों साल लग गए थे। आज आपको चाइना के प्रोडक्ट दुनिया के अधिकतर देशों में देखने को मिल जायेंगे लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि चाइना ने इतनी जल्दी तरक्की कैसे कर ली है। तो इसकी कई वजह हैं जैसे स्थिर सरकार और इनकी सरकार ने विकास के आगे धर्म को कभी आगे नहीं आने दिया चीन मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं लेकिन इसके अलावा यहाँ मुस्लिम, ईसाई और काफी कम हिंदू जनसंख्या भी हैं।


    चीन में हिंदू जनसंख्या कितनी है?


    अगर आप भी जानना चाहते हैं कि चीन में कितने हिंदू रहते हैं तो आपको फिलहाल इसकी सटीक जानकारी बहुत मुस्किल से मिलेगी क्योंकि चाइना अधिकारिक तौर पर धर्म के आधार पर लोगो की जनसंख्या जारी नहीं करता है। अगर कुछ रिपोर्ट की माने तो विशाल देश चाइना में हिंदुओं की आबादी लाखों में हो सकती है जिनमें अधिकतर •अप्रवासी हो सकते हैं मतलब जो भारत जैसे देशों से जाकर चाइना में बसे हैं।


    जैसा कि आपको पता होगा कि चीन में बौद्ध धर्म के अनुयायी सबसे अधिक है लेकिन क्या आपको पता है कि चीन के इतिहास में मध्यकालीन युग में हिंदू धर्म के लोग भी रहते थे। और इसका सबसे बड़ा सबूत चीन में मिले पुरातात्विक साक्ष्य हैं जैसे हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियाँ और मंदिर चाइना में बौद्ध धर्म का इतिहास 2000 साल पुराना है जो चीन और अन्य देशों में काफी तेजी से फैला है।


    चीन की कुल आबादी कितनी है? चीन की जनसंख्या के बारे में जानकारी।


    1.4 अरब पर पहुंची चीन की जनसंख्या लेकिन 2022 में घटने का अनुमान।


    चाइना की आबादी अक्सर चर्चा का विषय बनी रहती है क्योंकि बीते कुछ दशकों में इनकी आबादी इतनी बढ़ी कि इन्हें जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए वन चाइल्ड पालिसी को लागू करना पड़ा। हालाकि इसमें भी इनको कई समस्या का सामना करना पड़ा क्योंकि वन चाइल्ड पालिसी के कारण अधिकतर चायनीज माता पिता ने बेटे को पालना उचित समझा जिसकी वजह से चाइना में महिला और पुरुष की जनसंख्या में काफी अंतर देखने को मिल रहा था। यही वजह है कि अब चाइना ने वन चाइल्ड पालिसी को खत्म कर दिया है।


    वर्तमान समय में चीन की आबादी 141 करोड़ के पार पहुँच चुकी है जो विश्व की कुल जनसँख्या का लगभग 19 प्रतिशत है भारत में करीब 30 प्रतिशत लोग शहरी इलाकों में रहते हैं जबकि चाइना में करीब 80 प्रतिशत लोग शहरों में रहते हैं। वैसे देखा जाए तो भारत चीन से निवास एरिया में बेहतर है क्योंकि भारत में आपको सभी एरिया में अच्छी खासी आबादी देखने को मिल जाएगी। लेकिन चाइना में ऐसा नहीं है क्योंकि इस देश में आधी से अधिक पापुलेशन पूर्वी चीन में रहती है इसी कारण चीन अपने लोगो को बॉर्डर एरिया में बसाने की कोशिश कर रहा है।


    तो अब आप जान गए होगे कि चीन में हिंदू जनसंख्या कितनी है आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चीन अधिकारिक तौर पर एक नास्तिक देश है और यहाँ की सत्ताधारी कम्युनिस्ट सरकार ने धार्मिक लोगो पर हर तरह से पाबंधी लगा रखी हैं। यहीं नहीं सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी में जितने भी कार्यकर्त्ता है वह सार्वजानिक तौर पर किसी भी धर्म के अनुयायी नहीं बन सकते हैं हालाकि इतनी पाबंदियों के बीच चीन में ईसाई धर्म काफी तेजी से फैल रहा है।



    चीन की सरकार की तरफ से मंगलवार को जारी की गई सातवीं राष्ट्रीय जनसंख्या जनगणना के अनुसार, चीन के सभी 31 प्रांत, स्वायत्त क्षेत्र और नगरपालिका की आबादी 1.41178 अरब थी।


    चीन की आबादी 2019 की तुलना में 0.53 प्रतिशत बढ़कर 1.41178 अरब हो गई है। 2019 में आबादी 1.4 अरब थी। हालांकि इसके अगले साल की शुरुआत से घटने का अनुमान है। चीन की सरकार की तरफ से मंगलवार को जारी की गई सातवीं राष्ट्रीय जनसंख्या जनगणना के अनुसार, चीन के सभी 31 प्रांत, स्वायत्त क्षेत्र और नगरपालिका की आबादी 1.41178 अरब थी।


    राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) के अनुसार, नई जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन जिस संकट का सामना कर रहा था, उसके और गहराने की उम्मीद है, क्योंकि देश में 60 वर्ष से अधिक लोगों की आबादी बढ़कर 26.4 करोड़ हो गई है। एनबीएस ने एक बयान में कहा कि जनसंख्या औसत आयु बढ़ने से दीर्घकालिक संतुलित विकास पर दबाव बढ़ेगा।


    देश में 89.4 करोड़ लोगों की उम्र 15 से 59 वर्ष के बीच है, जो कि 2010 की तुलना में 6.79 प्रतिशत कम है। चीन के नेताओं ने जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए 1980 से जन्म संबंधी सीमाएं लागू की थीं, लेकिन अब उन्हें इस बात की चिंता है कि देश में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या तेजी से कम हो रही है और इसके कारण समृद्ध अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयास बाधित हो रहे हैं।


    चीन में जन्म संबंधी सीमाओं में ढील दे दी गई है, लेकिन दंपती महंगाई, छोटे आवास और मांओं के साथ नौकरी में होने वाले भेदभाव के कारण बच्चों को जन्म देने से कतराते हैं।


    क्या चीन के प्रजनन दर में लगातार हो रही गिरावट?


    चीन के लिए एक मुसिबत यह भी है कि चीन लगातार कम प्रजनन दर का सामना कर रहा है, क्योंकि यहां 2020 में केवल 12 मिलियन जन्म हुए थे, जो लगातार चौथे साल गिरावट को दर्शाता है। चीन में प्रसव उम्र की महिलाओं की कुल प्रजनन दर 1.3 थी, जो अपेक्षाकृत निम्न स्तर की थी।


    जनसांख्यिकीय संकट को देखते हुए चीन ने 2016 में वन-चाइल्ड पॉलिसी पर रोक लगा दी थी और दो बच्चे पैदा करने की इजाजत दी थी। हालांकि इस फैसले का बहुत ही कम प्रभाव पड़ा है, जिससे जनसंख्या में गिरावट आई है क्योंकि कुछ ही लोगों ने दूसरे बच्चे के लिए आगे आकर पहल की।



    चीन को जनसंख्या के मामले में कब तक पछाड़ देगा भारत, और बन जाएगा दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश।


    भारत अपनी बहुत ज्यादा प्रजनन दर की वजह से चीन को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में साल 2023 या फिर 2024 में पार कर जाएगा।


    चीनी के जनसांख्यिकी विश्लेषकों (Chinese Demographers) का कहना है कि भारत (India) 2027 के संयुक्त राष्ट्र के प्रक्षेपण (UN Projections) से पहले दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा और चीन (China) से भी आगे निकल जाएगा, जहां पिछले कुछ सालों से जन्म दर (Birth Rate) में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।


    भारत में 2050 तक लगभग 273 मिलियन लोगों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने यह अनुमान लगाते हुए 2019 में कहा कि भारत देश साल 2027 तक चीन को जनसंख्या के मामले में पार कर जाएगा और दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत इस वर्तमान सदी के आखिर तक सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा।


    भारत की अनुमानित जनसंख्या कितनी है?


    संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में भारत की अनुमानित जनसंख्या (Population) 1.37 बिलियन और चीन की 1.43 बिलियन थी। चीन ने मंगलवार को एक दशक की जनगणना के आंकड़े जारी किए, जिसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन की जनसंख्या सबसे धीमी गति से बढ़कर 1.41178 अरब तक पहुंच गई है। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन की जनसंख्या में अगले साल से गिरावट होने की उम्मीद है।


    जनसंख्या में गिरावट के साथ श्रम की कमी और खपत के स्तर में गिरावट आने की भी उम्मीद है, जिसका असर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के भविष्य के आर्थिक दृष्टिकोण पर पड़ेगा। चीन के सरकारी ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने बुधवार को चीनी जनसांख्यिकी के हवाले से कहा कि भारत की आबादी 2027 से पहले चीन से आगे निकल सकती है।


    क्या भारत में प्रजनन दर चीन से अधिक है?


    आने वाले सालों में चीन की जन्म दर में गिरावट आने की संभावना को लेकर जनसांख्यिकी ने अनुमान लगाया कि भारत अपनी बहुत ज्यादा प्रजनन दर की वजह से चीन को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में साल 2023 या फिर 2024 में पार कर जाएगा। दैनिक रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र की 2019 की भविष्यवाणी से पहले ही भारत जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकल जाएगा।


    पेकिंग विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर लू जेहुआ ने कहा कि चीन की जनसंख्या में गिरावट शुरू होने से पहले 2027 तक जनसंख्या चरम पर आ सकती है। हालांकि कुछ जनसांख्यिकी के मुताबिक चीन की जनसंख्या 2023 तक पीक पर आ सकती है।



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